8TH SEMESTER ! भाग- 109( An Unconscious Break-6)
"दिव्या ने सही कहा,इसमे प्राब्लम क्या है...उनके साथ ऐसा ही होना चाहिए..."दिव्या का समर्थन करते हुए ऐश ने कहा"डॉन'ट वरी ,हम तुम दोनो को इन्वॉल्व नही करेंगे..."
"सुनो रे, कन्याओं ...इस केस मे हम दोनो कबके इन्वॉल्व हो चुके है...और मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकी कैंटीन मे हमारी ठुकाई करने के बाद उन्होने हमे जान से मारने की धमकी दी है..."
"आवववव...क्या..सच, अरमान ."मैं अपनी बात कंप्लीट नही कर पाया था उससे पहले ही दोनो ने आववव करके मुझे रोक दिया....
"क्या आववववव , "
"फिर तो तुम्हे भी पुलिस मे कंप्लेन करना चाहिए..."दिव्या तीसरी बार पीछे मुड़कर बोली...
"अये,मेरी माँ... तू आगे देख के कार चला ना...मैं बहरा नही हूँ, बिना मेरी तरफ देखे भी तू कुछ बोलेगी तब भी मैं सुन लूँगा..."मैं एक बार फिर दिव्या पर चिल्लाया और जब दिव्या आगे मूड गयी तो बोला"देखो तुम दोनो समझ नही रहे हो...यदि उन दोनो पर केस हुआ तो हॉस्टल वाले हमारे खिलाफ हो जाएँगे और फिर मेरे साथ-साथ अरुण भी शहीद हो जाएगा..."
"तो इससे हमे क्या लेना-देना..."दिव्या अबकी बिना पीछे मुडे कार चलाते हुए ही बोली
"वाह ! क्या बात है...अदभुत. यदि यही बात हम दोनो ने उस वक़्त सोची होती,जब कैंटीन मे तू नौशाद के शिकंजे मे थी...तो शायद ये सिचुयेशन आती ही नही...यदि दिमाग़ नही है तो मत चला ,जितना बोल रहा हूँ उतना कर...कम से कम मेरे भाई जैसे मेरे इस दोस्त की हालत पर तो रहम खाओ पापियो...देख नही रही इसकी हालत..."
"हाई दिव्या..."दिव्या ने जब कार के मिरर मे अरुण को देखा तो अरुण चहकता हुआ बोला और हाय बोलकर फिर से अपना पेट पकड़कर दर्द से कराहने लगा.
"हाई अरुण..."मिरर मे देखकर दिव्या ने जवाब दिया...
"अबे... तुम दोनो अपना हाय ,बाय ...बंद रखोगे..कुछ देर के लिए"
"ओके,हम तुम दोनो की बात मानने को तैयार है..."आगे मुड़ते हुए ऐश ने कहा...
"थैंक्स , गैटो ..."
"पहले बिल्ली, अब गैटो ..? इसका मतलब क्या हुआ...लेकिन ये नाम अच्छा लगता है"
"ज़्यादा खुश मत हो बिल्ली,गैटो को स्पॅनिश मे बिल्ली ही कहते है..."
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उसके बाद हम दोनो कार से उतर गये और उन दोनो को जाने के लिए कहा....
"अबे तूने कहा था तेरे पास एक आइडिया है ,नौशाद के कहर से बचने का..."उन दोनों के जाने के बाद अरुण ने मुझसे कहा
"हां, है ना..."
"मुझे भी बता वो आइडिया क्या है.."
"MTL भाई ..." मुस्कुराते हुए मैने कहा .
वहा से हॉस्टल कि तरफ आते हुए मैने सिदार को कॉल किया और उसे सारी घटना बताई...शुरू-शुरू मे एमटीएल भाई मुझ पर भड़क उठे और बोले कि दुनियाभर के सारे लफडे मे मैं ही क्यूँ फँसता हूँ... लेकिन बाद मे मेरी रिक्वेस्ट पर वो हॉस्टल आने के लिए तैयार हो गये, उन्होने मुझसे ये भी कहा कि जब तक वो मुझे कॉल करके हॉस्टल आने के लिए ना कहे मैं हॉस्टल के आस-पास भी ना दिखू....एमटीएल भाई की कॉल के बाद मैने और अरुण ने एकदम से U-turn लिया और वही कॉलेज के पास PG मे रहने वाले एक लड़के के रूम पे गये... जहा एक के बाद एक सिगरेट इस व्याकुलता मे पी की अब हमारे साथ क्या होगा... यदि mtl भाई, आज नहीं आए तो...?? नौशाद ने तो पुरे हॉस्टल वालो के साथ मुझे मारने का प्लान बना लिया होगा....
इसी डर और व्याकुलता मे हम दोनों कई घंटे उस PG मे रहे... लगभग चार घंटे. और फिर रात के 7 बजे सिदार का कॉल आया और उन्होंने मुझे हॉस्टल आने के लिए कहा.
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"चल,हॉस्टल चलते है...सिदार पहुच गया है..."बिस्तर पर whatsapp पे दिव्या से चटियाते हुए अरुण से मैने कहा...
"अरमान... मुझे अब ऐसा क्यूँ लग रहा है कि हमने कैंटीन मे जो आज किया,वो हमे नही करना चाहिए था..."
"तुझे ऐसा इसलिए लग रहा है,क्यूंकी तेरी पूरी तरह से फॅट चुकी है...अब चुप-चाप हॉस्टल चल वरना मेरे हाथो शहीद हो जाएगा..."
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ऐसे ही एक -दूसरे का सहारा बनकर.. लड़खड़ाते हुए हम दोनों हॉस्टल के लिए निकले और अंततः हॉस्टल मे एंट्री मारी. हॉस्टल के अंदर दाखिल होते ही हॉस्टल मे रहने वाला हर एक लड़का हमे घूर कर देख रहा था,उनके चेहरे से ऐसा लग रहा था कि जैसे वो मुझसे कहना चाहते हो कि उन्हे ,मुझसे ऐसी उम्मीद नही थी...
अरुण के साथ मैं सीधे अमर सर के रूम मे घुसा जहाँ सिदार ,अमर ,नौशाद और उसके कैंटीन वाले नौशाद के दोस्त बैठे हुए थे..
"आ गया साला, हरामी..."मुझे देखते ही नौशाद ने गालियाँ बाकी...
नौशाद का इस तरह से सबके सामने गाली बकना मुझे पसंद नही आया और मैने भी उस पांडू को अपने तेवर दिखाते हुए बोला
"सुन बे... अब चुप रह...तू सीनियर है ,सोचकर मैं कैंटीन मे मार खा गया...लेकिन यदि एक लफ्ज़ भी गलत निकाला ना तो यही पटक-पटक कर पेलुँगा और तू घंटा मेरा कुछ उखाड़ भी नहीं पायेगा ..."
"मार... मार... हरामी को... माँ -बहन एक कर दे साले की.."अरुण भी गुस्से से भड़क उठा...
"बस बहुत हो गया..नौशाद तू चुप रह और तुम दोनो भी अपना मुँह सिल लो...वरना तीनो को मारूँगा..."सिदार ने तेज़ आवाज़ मे कहा,जिसके बाद हम सब शांत हो गये....
"अरमान पहले तू बोल कि,तू हॉस्टल वालो के खिलाफ क्यूँ गया...ये जानते हुए भी कि नौशाद ने वरुण को मारने मे तेरा साथ दिया था..."
"एक मिनट MTL भाई...पहले मैं आपको एक एक्सापल देता हूँ..."सिदार के पास जाते हुए मैं बोला"यदि आज कैंटीन मे उन दोनों लड़कियो की जगह पर विभा और मेरी जगह पर आप होते....तो क्या आप क्या करते..."
"तू बात को घुमा रहा है अरमान...सच ये है कि ना तो मैं वहाँ था और ना ही विभा..."
"सवाल ये नही है कि मैं क्या कह रहा हूँ,सवाल ये है कि मैं कहना क्या चाहता हूँ... इंस्ट्रूमेंट वही है,ऑब्स्टकल भी वही है...बस अब्ज़र्वर दूसरा है तो क्या हम उस इन्स्ट्रुमेंट की थियरी बदल देते है...?? नही ना...बस मैं यही समझाना चाहता हूँ, that's all यदि वहा ऐश जगह हम से किसी भी बंदी होती और कोई और लड़का उसकी इज्जत लूटने के बहाने वहा आता तो सब वही करते जो मैने किया... और हाँ,नौशाद सर.. आपको मेरा शुक्रागुज़ार होना चाहिए की आपकी इस ओछी हरकत के बाद भी मैने उन दोनों से कहा कि..वो आपके खिलाफ इस इंसिडेंट को किसी से ना बताये...वरना आपको पेलने के लिए प्रिंसिपल, पुलिस और दिव्या का गुंडा बाप ही अकेला है... वो आपको यदि यहाँ नहीं मार पाता ना.. तो आपके घरवालों को टारगेट करता.. आपकी माँ,बहन सबके साथ वही दुष्कर्म करता..जो आप आज दिव्या के साथ करने वाले थे..."
अमर सर के रूम के बाहर हॉस्टल के लगभग सभी लड़को का जमावड़ा लग चुका था.. सब ये जानने के उत्सुक थे की..मेरे और अरुण के साथ आगे क्या होता है... उन सबको रूम के बाहर देख..मैने इस मौके को भुनाने का सोचा... और आगे बोला...
"आज मैने कैंटीन मे हॉस्टलर्स का साथ क्यों नहीं दिया..अब ये तुम सब जान चुके हो... हमें दम से नहीं दिमाग़ से काम लेना है और यदि तुम्बरे पास नहीं है तो किसी ऐसे को अपना लीडर चुनो...जिसके पास ये हो.. यदि मैने आज नौशाद और उसके चूतिये सीनियर्स को कैंटीन मे नहीं बचाया होता तो अभी, इस वक़्त वो चारो..molestation और rape के केस मे जेल मे मरवा रहे होते...वही गौतम का बाप इन सबकी फैमिली की माँ -बहनो कि मार रहा होता... अपने हॉस्टल कि एक छवि है और मै ये छवि किसी हाल मे बिगड़ने नहीं दूंगा..फिर चाहे वो मेरे क्लास का हो या फिर मेरा सीनियर... और आज तो मै नौशाद से चुप चाप मार खा गया,लेकिन अगली बार जाम के मारूंगा... भगवान की एक परिभाषा है... कि भगवान वो नहीं करते..जो तुम चाहते हो. बल्कि भगवान वो करते है, जो तुम्हारे लिए ठीक रहता है और आज से मै तुम सबका भगवान हूँ... MTL भाई के जाने के बाद बिना किसी लीडर के हम हॉस्टलर्स बिखर जायेंगे... किसी को कोई आपत्ति...?? यदि आपत्ति है तो मुझसे लड़कर मुझे गलत साबित करें... या फिर ये स्वीकार करें..."
"All hail Lord Arman...yayyyyyyy....."बाहर खड़े सेकंड ईयर के सभी लड़के चिल्लाये... जिसका साथ रूम के अंदर अमर सर ने भी दिया और अमर सर के साथ सिदार सर ने भी.... इसके बाद a to z सभी लड़को ने...
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"एकतरफ़ा बीड़ू..."वरुण मुझे बीच मे ही रोक कर बोला"आज तूने साबित कर दिया कि तू मेरा दोस्त है..."
"थैंक्स "बोलते हुए मैने घड़ी मे टाइम देखा...घड़ी का सबसे छोटा काँटा अब 10 मे आने को बेकरार था,..
"एक बात कहूँ ,तूने सिदार की सोर्स का बहुत सॉलिड तरीके से दिमाग़ लगाकर इस्तेमाल किया.... तू जानता था कि अमर और सिदार तेरा साथ देंगे और उनके साथ बाकी के लड़के भी..."
"वो तो है... क्यूंकि शासन दिमाग़ से ही किया जाता है, दम से नहीं और MTL भाई, जब तक वो हमारे साथ रहा , मैने उसका इस्तेमाल बहुत अच्छे से किया था..."बोलते हुए मैं बिस्तर से सिगरेट का पॅकेट लेने के लिए उठ खड़ा हुआ...
"तूने ये क्यूँ कहा कि जब तक MTL भाई तेरे साथ रहा.... बाद मे उसने तेरा साथ छोड़ दिया क्या..??..."
वरुण के इस सवाल का जवाब देना मेरे मुश्किल कामो मे से एक था,लेकिन उसे सच तो मालूम ही पड़ता,आज नही तो कल मैं खुद उसे ये सच बताने ही वाला था... मै बिस्तर पर छत की ओर देखते हुए लेट गया और एक सिगरेट सुलगा कर एक लंबा कश लेने के बाद धुआँ छोड़ते हुए बोला..
"मैने ऐसा इसलिए कहा क्यूंकी MTL भाई अब ज़िंदा नही है..."